Saturday, October 24, 2009

अर्ज़ किया है........

आज की मेरी blogging में मैं कुछ शेर अर्ज़ करना चाहूँगा-

१.    मौत भी मंज़ूर उस बेवफा के हाथों ,
       'गर मिले पूरी ईमानदारी से .
       बेवफाई की  तो हमें
       जिन्दगी भी मंज़ूर नहीं.


 २.   बेकार है हर बख्शीश खुदा की,
      'गर वह दिल में नरमी देना भूल गया.
       गलती और एक खुदा ने की,
       जो चेहरा खूबसूरत संगदिल को दे गया.


३.   भले   ही खुदा को न मान,
      पर उस के हुक्म को तू ज़रूर मान.
      'गर खुदा न हुआ तो भी तू इज्ज़त से जायेगा,
      और 'गर हुआ  खुदा
      तो वो तुझे जन्नत ले जायेगा.

1 comment:

  1. Vah ji vah ---sher to kafee umda arj kiye hain apne .par doosaron ke bhee blog beech beech men padhate rahiye.....
    HemantKumar

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