Sunday, March 21, 2010

ताश का महल

                                                                                  ताश का महल


क्या हुआ जो ढह गया

एक पुराना महल

आखिर वह बना ही था

ताश के पत्तों से .

चाहे उस पर जितनी

सिलेटी पॊलिश हो जाती

वह सीमेंट का न बन पाता .





नही सह सकता वह

उस हवा को

जो अवश्यम्भावी थी

शक्तिशाली थी और

टूट जाना ही था

हर उस महल को

ताश के

जो ऊंचे ठूंठ की भांति

समझ रहा था खुद को

और तैयार न था

झुकने को .





तोड देती हैं हवाएं

समय की

इसी प्रकार रूढियो को

तूफ़ान बदलाव का

ढहा देता है

नकली सीमेंटी महलों को

जो खुद को कठोर ठूंठ समझ

उसी की गति को

प्राप्त होते हैं.

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