Tuesday, March 30, 2010

30th March , 2010
Allahapur , Allahabad

I've been blogging for so long but I haven't got a single, true follower . All my followers are people I know and I have forced them to follow me . I had thought that they might be able to bring to me more and more followers but I scarcely need to say that they have disappointed me terribly . They all and everyone else I have ever approached to ask to read my blog say that blogging is 'बुड्ढोँ का काम' ।
This degree of disappointment increases when I see even some totally non-creative people have been getting popularity through fake and pirated works . And the followers of their blogs are constantly increasing . This frustation sometimes almost gets better of me .
Anyways , I'm currently too pessimistic to write anything cheerful .

-With lots of love and lotuses,
ALOVINGLOTUS

Wednesday, March 24, 2010


राम-नवमी


"खत्म हुआ इन्तज़ार
आ गया राम-नवमी का त्यौहार .
आठ दिन पहले था नवसंवत्सर ,
महा-उत्सव का अब आया अवसर ."


सभी पाठकों को राम-नवमी की हार्दिक बधाई . जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कल चैत्र-नवरात्रि का अंतिम दिन था , और आज भगवान विष्णु के नौवें अवतार श्री राम का जन्मदिवस है .आज नवरात्र के व्रती कन्याओं को भोजन करा कर व्रत का उद्यापन करेंगे और अपने व्रत की समाप्ति के पश्चात देवी दुर्गा से आशीर्वाद की कामना करते हैं .

पर आज हम में से कुछ ही लोग राम-नवमी को उसी हर्षोल्लास से मनाते हैं जैसे कि नवरात्रि को मनाया जाता है . पता नहीं यह शर्म है , डर है या कुछ और . यह भी एक मज़ेदार संयोग है कि हमारी दोनों ही नवरात्रियों का अंत भगवान श्रीराम से जुड़ा है . चैत्र नव्ररात्रि का अंत श्रीराम के जन्मदिवस से होता है और शारदीय नवरात्रि के अंत में दशहरा आता है जो कि लंका के राक्षस राजा रावण पर राम की विजय का उत्सव है .

समाज में जिस प्रकार पाप का विस्तार और सत्य का संकुचन हो रहा है तो आज के समय में राम और रामायण पहले से भी ज़्यादा प्रासंगिक हो गए हैं . आज जिस प्रकार भ्रष्टाचार , हिंसा , लोभ और स्वार्थ रूपी अनगिनत रावण अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहे हैं , उसे रोकने के लिए एक नहीं असंख्य रामोम की आवश्यकता है . और यह राम किसी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के घरों से नहीं , हमारे-आपके बीच से ही आएंगे , क्योंकि लोकतंत्र में आम जनता ही असली शासक होती है और भगवान सदा राजा के ही घर उत्पन्न हुए हैं और मुझे नहीं लगता कि भगवान अपनी इस पुरातन आदत को बदलना चाहेंगे . आज हम मेम से हर किसी में एक राम और एक रावण छुपा बैठा है और यह हम पर है कि हम किस को उभार कर उसकी तरह बनना चाहते हैं .

तो आइए , इस रामनवमी को हम सभी यह प्रण लें कि हम भी एक राम बन भारत से व संपूर्ण विश्व से रावणों का सर्वनाश कर एक रामराज्य के निर्माण में अपना योगदान देंगे .

Sunday, March 21, 2010

ताश का महल

                                                                                  ताश का महल


क्या हुआ जो ढह गया

एक पुराना महल

आखिर वह बना ही था

ताश के पत्तों से .

चाहे उस पर जितनी

सिलेटी पॊलिश हो जाती

वह सीमेंट का न बन पाता .





नही सह सकता वह

उस हवा को

जो अवश्यम्भावी थी

शक्तिशाली थी और

टूट जाना ही था

हर उस महल को

ताश के

जो ऊंचे ठूंठ की भांति

समझ रहा था खुद को

और तैयार न था

झुकने को .





तोड देती हैं हवाएं

समय की

इसी प्रकार रूढियो को

तूफ़ान बदलाव का

ढहा देता है

नकली सीमेंटी महलों को

जो खुद को कठोर ठूंठ समझ

उसी की गति को

प्राप्त होते हैं.